वक़्त कहीं भी वक़्त क्यों हमको ठहर जाने नहीं देता कि जाना चाहें तो चाहें उधर जाने नहीं देता जो दी उनसे जुदाई साथ में दी याद भी उनकी ये जीने भी नहीं देता, ये मर जाने नहीं देता गले का हार उनके मैं नहीं बन पाया हूँ लेकिन क्यों मुझको उनके क़दमों में बिखर जाने नहीं देता ये मुझको खींचता है बन के दुनिया सौ सौ हाथों से मुझे ये रूह में अपनी उतर जाने नहीं देता तेरी खुशियों की खातिर मैं जहन्नुम में चला जाऊ जाऊं आज ही मैं वक़्त ,पर जाने नहीं देता । FROM "DIL TO DIL HAI" BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE" OR LYRICS 09754381469 09406826679
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