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जब भी करना किसी से खुलकर

जब भी करना किसी से खुलकर मोहब्बत करना, दबी -दबी सी करोगे तो यार मत करना , यह इमारत तो दिखावे की नीव , पे ना हो सबसे पहले जाहिर हकीकत करना बस वहां से मोहब्बत खत्म हो गई समझो जहां से ...

याद आते हो सनम तुम रह-रहकर

याद आते हो सनम तुम रह-रहकर आशु देते हैं गवाही बह बह कर तंग आ चुके हैं तुमसे कह कर कर थक गए हैं अब जुदाई सह सह कर हाय जुदाई कैसी आई ,भूल गए सब शिकवा हम बाद तेरे जाने के जाना, रह न सके...