RIGHT&STRONG PARENTING
(कैसे बने बच्चे दमदार और मज़ेदार एक साथ)
1. बच्चों को अपने जीवन में शामिल करें ,जीत में भी, हार में भी।
जो मुझे सहना पड़ा है ,वो इसे तो करने ही नहीं दूंगा। यही सोचा तो आपने जो सिख लिया ,वो ये कैसे सीखेंगे।
स्कूल -कॉलेज के नकली प्रोजेक्ट्स वो नहीं सिखा सकते,जो लाइफ के रियल प्रोजेक्ट सिखा सकते है।
2. अपने मुंह में कौर चबा के उन्हें मत दो। दांत उन्हें भी मिले है।
मतलब ये कि अपने निष्कर्ष उनपे न थोपें। अपनी डर और निराशा उनमे मत डालिए।बात चीत करते ही रहें, लेकिन मिलकर जवाब ढूंढे।
3. लड़कियों को लड़कों से , लडको को लड़कियों से दोस्ती करना सिखाएं। साथ ही पैसों का गणित भी समझने का मौका दें। इंडिया में 25 तक तो हम लड़के को लड़की और पैसे से दूर दूर रखते है और 26 में शादी करके लड़की देते है ,पैसा कमाने को कहते है।
बेचारा दोनों पहेलियों से लड़ते -भिड़ते बाल सफ़ेद होने लगते है।
4. अलग अलग कामों में, शौक और मस्ती में लगने दीजिये।
24 घंटे कुछ न कुछ सिखाने की फिराक़ में न रहें।भीतर से खाली होना ही नए सृजन या क्रिएटिविटी के लिए काफी है।
5.उन्हें अपनी असफलता और कमजोरी की कहानी पहले सुनाये।
आप जिंदगी भर हीरो बनते रहे उसके आगे ,तो वो बेचारा कभी हीरो नहीं बन पायेगा।
6. उन्हें बाहर जाने और लोगों के काम करने का भरपूर मौका दें।
उन्हें कछुआ बनाकर अपनी खोल में न सिमटने दें , बाज़ बनकर हवाओं से खुलकर लड़ने दो।जितने रिलेशंस के बीच रहेगा, उतनी इमोशनल इंटेलिजेंस होगी। उद्योगपति के पास इमोशनल इंटेलिजेन्स होता है,और उसके एम्प्लोयी के पास आई क्यू होता है। फ़र्क़ बस इतना ही है।
7 आगे आने वाले असली खतरों की बात करते शर्मायें नहीं।
आप ठीक से उस बारे में बात नहीं करेंगे तो कोई दोस्त ही कच्चे पके फंडे पिला देगा ,तब ज्यादा तकलीफ होगी।
सेक्स,शराब या लव अफेयर उम्र के साथ आने है,तब तक समझ होना जरुरी है।
8. पहले भ्रम होता है कि मेरी हर बात मानेगा , बाद में भ्रम होता कि अब तो मेरी एक नहीं सुनेगा।
सही बात गलत तरीके से कही तो सुनना मुश्किल होता है।मैंने बच्चों को आज भी कहानी सुनाई तो वो सीरियल छोड़ कर आ गये। हाँ, बात वही दिलचस्प होगी जो उसकी अपनी तात्कालिक समस्या का हल खोजे।
9. उन्हें अपनी भावनाएं जैसी है ,वैसी बताने की ईमान दारी सिखाएं।
अपनी औलाद की ज़िन्दगी में अपनी घिसी पिटी ज़िन्दगी दोहराने की गलती न की ,तो वो आपके लिए एक नयी और ताज़ी ज़िन्दगी का तोहफा लेकर आयेंगे।
10 जितनी जिम्मेदारी लेना सिखाया ,उतना ही आपका भविष्य निश्चिन्त रहेगा।
कई माता पिता बच्चों को लोगों से होशियारी करके काम से,खर्च से बचना सिखाते है.
उन्हें दूसरों के लिए काम आना वक़्त की बर्बादी लगता है। अपने में सिमित जीवन से वो गमले के पौधे रह जाते है। पूरी तरह खिल नहीं पाते।
बच्चे इतना अच्छा सिख लेते है कि माँ बाप से ही होशियारी शुरू कर देते है।
11.उनकी राय लेना और उनके दोस्तों की इज्ज़त करना सेल्फ कॉन्फिडेंस बढाने और निर्णय लेना सिखाने का सबसे आसान तरीका है ।बच्चों को सिर्फ यही तो बताना है कि रिश्ता हो या बिज़नेस,जोखिम उठाने से न डरें। कितना भी सँभलो,दो चार ठोकरें खानी है,तभी जीना सीखना है और फिर उठ कर चल देना है।
(कैसे बने बच्चे दमदार और मज़ेदार एक साथ)
1. बच्चों को अपने जीवन में शामिल करें ,जीत में भी, हार में भी।
जो मुझे सहना पड़ा है ,वो इसे तो करने ही नहीं दूंगा। यही सोचा तो आपने जो सिख लिया ,वो ये कैसे सीखेंगे।
स्कूल -कॉलेज के नकली प्रोजेक्ट्स वो नहीं सिखा सकते,जो लाइफ के रियल प्रोजेक्ट सिखा सकते है।
2. अपने मुंह में कौर चबा के उन्हें मत दो। दांत उन्हें भी मिले है।
मतलब ये कि अपने निष्कर्ष उनपे न थोपें। अपनी डर और निराशा उनमे मत डालिए।बात चीत करते ही रहें, लेकिन मिलकर जवाब ढूंढे।
3. लड़कियों को लड़कों से , लडको को लड़कियों से दोस्ती करना सिखाएं। साथ ही पैसों का गणित भी समझने का मौका दें। इंडिया में 25 तक तो हम लड़के को लड़की और पैसे से दूर दूर रखते है और 26 में शादी करके लड़की देते है ,पैसा कमाने को कहते है।
बेचारा दोनों पहेलियों से लड़ते -भिड़ते बाल सफ़ेद होने लगते है।
4. अलग अलग कामों में, शौक और मस्ती में लगने दीजिये।
24 घंटे कुछ न कुछ सिखाने की फिराक़ में न रहें।भीतर से खाली होना ही नए सृजन या क्रिएटिविटी के लिए काफी है।
5.उन्हें अपनी असफलता और कमजोरी की कहानी पहले सुनाये।
आप जिंदगी भर हीरो बनते रहे उसके आगे ,तो वो बेचारा कभी हीरो नहीं बन पायेगा।
6. उन्हें बाहर जाने और लोगों के काम करने का भरपूर मौका दें।
उन्हें कछुआ बनाकर अपनी खोल में न सिमटने दें , बाज़ बनकर हवाओं से खुलकर लड़ने दो।जितने रिलेशंस के बीच रहेगा, उतनी इमोशनल इंटेलिजेंस होगी। उद्योगपति के पास इमोशनल इंटेलिजेन्स होता है,और उसके एम्प्लोयी के पास आई क्यू होता है। फ़र्क़ बस इतना ही है।
7 आगे आने वाले असली खतरों की बात करते शर्मायें नहीं।
आप ठीक से उस बारे में बात नहीं करेंगे तो कोई दोस्त ही कच्चे पके फंडे पिला देगा ,तब ज्यादा तकलीफ होगी।
सेक्स,शराब या लव अफेयर उम्र के साथ आने है,तब तक समझ होना जरुरी है।
8. पहले भ्रम होता है कि मेरी हर बात मानेगा , बाद में भ्रम होता कि अब तो मेरी एक नहीं सुनेगा।
सही बात गलत तरीके से कही तो सुनना मुश्किल होता है।मैंने बच्चों को आज भी कहानी सुनाई तो वो सीरियल छोड़ कर आ गये। हाँ, बात वही दिलचस्प होगी जो उसकी अपनी तात्कालिक समस्या का हल खोजे।
9. उन्हें अपनी भावनाएं जैसी है ,वैसी बताने की ईमान दारी सिखाएं।
अपनी औलाद की ज़िन्दगी में अपनी घिसी पिटी ज़िन्दगी दोहराने की गलती न की ,तो वो आपके लिए एक नयी और ताज़ी ज़िन्दगी का तोहफा लेकर आयेंगे।
10 जितनी जिम्मेदारी लेना सिखाया ,उतना ही आपका भविष्य निश्चिन्त रहेगा।
कई माता पिता बच्चों को लोगों से होशियारी करके काम से,खर्च से बचना सिखाते है.
उन्हें दूसरों के लिए काम आना वक़्त की बर्बादी लगता है। अपने में सिमित जीवन से वो गमले के पौधे रह जाते है। पूरी तरह खिल नहीं पाते।
बच्चे इतना अच्छा सिख लेते है कि माँ बाप से ही होशियारी शुरू कर देते है।
11.उनकी राय लेना और उनके दोस्तों की इज्ज़त करना सेल्फ कॉन्फिडेंस बढाने और निर्णय लेना सिखाने का सबसे आसान तरीका है ।बच्चों को सिर्फ यही तो बताना है कि रिश्ता हो या बिज़नेस,जोखिम उठाने से न डरें। कितना भी सँभलो,दो चार ठोकरें खानी है,तभी जीना सीखना है और फिर उठ कर चल देना है।
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