किसको क्या कहूँ ?
आते है दोनों ऐसे एक दूजे के भेष में
किसको कहूँ मैं ख्वाब ,हकीकत कहूँ किसे ?
ये सब न सोचूं और बस चलता चला जाऊ
अक्लमंदी ये है तो फितरत कहूँ किसे ?
फाके में जीता है वो,जिसमे खुददारी है
नागवार जिसको मतलब की दुनियादारी है
बर्बाद हो तो हो ,मगर बेईमान नहीं हो
ये अगर कमजोरी है, ताक़त कहूँ किसे ?
खुश रहके जी रहा है 'जो अपने हाल में
उलझा नहीं अभी तक किसी भी सवाल में
खुद से,खुदा से ,दुनिया से शिकवा नहीं कोई
इसको मैं बौनापन कहू तो अजमत कहू किसे ?
दूर से उनपे लिखना ,तस्वीरे बनाना
मजबूर मुफलिसी से पैसा नाम कमाना
उनको तजुर्बों की कोई चीज़ समझना
क्या ज़र्रा नवाजी है ,ज़िल्लत कहू किसे ?
खुद का ईमान जाये,या किसीकी जान जाये
भीड़ जितनी हो सके ,पीछे हमारे आये
दोनों के तरीके ही इतने मिलते जुलते है
मज़हब कहू किसे 'मैं सियासत कहू किसे ?
देखो लबे आशिक पे जरुरत का जिक्र है
प्यार तो है लेकिन पहले अपनी फिक्र है
रिश्तों में छोटे बड़े सौदों को देखकर
सोचता हूँ आखिर मोहब्बत कहू किसे ?
BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED
CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE" OR LYRICS
09754381469
09406826679
आते है दोनों ऐसे एक दूजे के भेष में
किसको कहूँ मैं ख्वाब ,हकीकत कहूँ किसे ?
ये सब न सोचूं और बस चलता चला जाऊ
अक्लमंदी ये है तो फितरत कहूँ किसे ?
फाके में जीता है वो,जिसमे खुददारी है
नागवार जिसको मतलब की दुनियादारी है
बर्बाद हो तो हो ,मगर बेईमान नहीं हो
ये अगर कमजोरी है, ताक़त कहूँ किसे ?
खुश रहके जी रहा है 'जो अपने हाल में
उलझा नहीं अभी तक किसी भी सवाल में
खुद से,खुदा से ,दुनिया से शिकवा नहीं कोई
इसको मैं बौनापन कहू तो अजमत कहू किसे ?
दूर से उनपे लिखना ,तस्वीरे बनाना
मजबूर मुफलिसी से पैसा नाम कमाना
उनको तजुर्बों की कोई चीज़ समझना
क्या ज़र्रा नवाजी है ,ज़िल्लत कहू किसे ?
खुद का ईमान जाये,या किसीकी जान जाये
भीड़ जितनी हो सके ,पीछे हमारे आये
दोनों के तरीके ही इतने मिलते जुलते है
मज़हब कहू किसे 'मैं सियासत कहू किसे ?
देखो लबे आशिक पे जरुरत का जिक्र है
प्यार तो है लेकिन पहले अपनी फिक्र है
रिश्तों में छोटे बड़े सौदों को देखकर
सोचता हूँ आखिर मोहब्बत कहू किसे ?
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