?तिया -हर कोई बनता है
?तिया -हर कोई बनता है?
it's ok to be not ok sometimes
हर इंसान को भीतर ही भीतर कई बार लगता रहता है की मैं बहुत खास हूँ । महान लोगों की बायोग्राफी पढ़करआधी उम्र तक उम्मीद करता है की मुझे किसी खास लक्ष्य के लिए जीवन तैयार कर रहा है ।बेचारा सारी ठुकाई इसी मरहम के साथ झेलता है ।
और एक दिन जीवन ऐसे खत्म होता है जैसे किसी हॉट सीन का इंतज़ार करते -करते कोई बेकार सी सेक्सी फिल्म ख़त्म हो जाती है ।
लोग मनचाही शादी कर लेते है,पैसा कम लेते है,थोडा नाम भी हो जाए फिर भी सवाल उलझे रहते है ?
शायद सवाल हर किसी के साथ हमेशा ही रहते है ,पर ये बात समझ में आते आते देर लेग जाती है ।
पुरी लाइफ आउट ऑफ़ प्लान होती है ।
हम सोचते क्या है .करते क्या है और होता क्या है ?यही बात मजेदार भी है अगर मज़े लेना सीख लो तो ।
पहली रात के दर्द के बिना दूसरी रात का मज़ा कभी आ सकता है क्या?
जब कोई कामयाब होता है तो तरीका बहुत अजीब होता है ।
लोग कई कोशिशे करते रहते है।बहुत सीरियस होकर जो कोशिश की .पाया कि खोखली रह गयी ।ये महसूस भी बहुत बाद में होता है ।
मजाक मजाक में जो कर डाला ,वही कामयाबी ले आया ।
दुनिया जब शाबासी देती है तो हम कामयाबी की पूरी एक कहानी बना डालते है ,
लेकिन एडिट करके ।
उसमे से हम अपने सारे चुतियापे हटा लेते है , इसीलिये ये कहानिया आगे औलादों के सचमुच काम नहीं आ पाती ।
अगर औलाद सोलह से कम उम्र में बडबोले माँ बाप को " जेम्स बांड" मानेगी , तो सोलह के बाद अचानक दुनिया देखकर "गधे की ?" मानेगी ।
ये किस्सा कुछ ऐसे समझ पायेंगे आप ।
एक जंगल में शेर शेरनी रहते थे ।
एक कुत्ता रोज़ उनकी गुफा के बाहर आता और भोंक भौंक कर गालियाँ देता -
"बड़ा आया जंगल का राजा ।मेरे सामने आ तो बताऊँ तेरी औकात क्या है?"
शेर सुनता रहा ,कुछ नहीं किया ।शेरनी को गुस्सा आ गया ।
शेर ने समझाया -"जाने दे, कुत्ते के क्या मुंह लगना ?"
"ऐसे कैसे जाने दे ?आप राजा हो यहाँ के" बोलकर शेरनी कुत्ते के पीछे पीछे दौड़ी ।
कुत्ता आगे -आगे .शेरनी पीछे पीछे ।
कुत्ता जान बुझकर पेड़ के खोखले तने में घुसकर निकला ।शेरनी भी पीछे पीछे तने में घुस गयी ।
साइज़ बड़ी थी ,फंसी रह गयी ।
बस फिर क्या था ?
कुत्ता पीछे से आया और शेरनी के पिछवाड़े में खूब-खूब---------?काटा ।
शेरनी जैसे तैसे निकली ,रोती -कराहती गुफा में लौटी तो शेर ने पूछा "तो कुत्ता मिल ही गया ?"
"आपको कैसे पता ?"शेरनी ने पूछा ।
"तुम्हारे पीछे ये निशान देखकर । मेरे पीछे तो साले ने और ज्यादा ----?----काटा था"
बस यही किस्सा है ।
ज़िन्दगी में कई प्रोब्लम्स सबके आगे कुत्ता बनकर आती है और हम शेरनी की तरह उससे लड़ने दौड़ जाते है ।
तो क्या लड़ना छोड़ देना चाहिए ?
अगर शेर अपना सही किस्सा सुना देता तो शेरनी खोखले तने में नहीं फंसती ।
"मैं सही हूँ ।"बस ये एक लाइन सुनने को हम न जाने क्या क्या करते है ,क्या क्या कहते रहते है?
दुनिया को आधी हकीकत सुनाते सुनाते हम खुद पूरी हकीकत भूल जाते है ।
जैसे टिकट लेना और संभाल कर रखना यात्री की जिम्मेदारी है,चाहे कितना ही महंगा हो ।
ठीक वैसे ही सच को जानना और याद रखना हर एक की अपनी जिम्मेदारी है ,
अगर बेफिक्र जीवन यात्रा करनी है तो।
FROM
"DIL TO DIL HAI"
बुक BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED
CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE" OR LYRICS
7066045880
8381021346
Comments
Post a Comment
Please express honest