मै क्यों बच्चों को स्कूल नहीं भेजता?
पहली बात -स्कूल में 3 अन्य विषय है - चारित्र शिक्षा ,नैतिक शिक्षा ,शारीरिक शिक्षा .
मेरी नजर में इनको टालकर शिक्षा में बचा ही क्या ?
ज्ञान वही है जो इंसान में कुछ करते रहने की उमंग पैदा करे .
मै आइ आइ टी और आइ आइ एम कैम्पस में ,हॉस्टल में कई स्टुडेंट्स के साथ रहा .
उन सबकी इन्फार्माशन अपडेटेड है ,टेक सावी है,लेकिन भीतर उमंग कुछ ही लोगों में है .
80% लोग पैकेज के इन्तेजार में है .
अगर रिसेशन आ गया तो सब डिप्रेशन में आ जाते है .50% लोग नशे में रेगुलर है .
कभी कारण है उलझन ,अधिकतर कारण है खालीपन .
उनकी एनर्जी खूब है ,पर इमोशनल बिखराव है .
उमंग या भरोसे की कमी है ,यंगस्टर्स किसी से बात करने से पहले सोचता है कि जरुरी है क्या बात करना ?
कई लोग पुराने ट्रेडिशन के खिलाफ है ,लेकिन यंगस्टर्स ने नए ट्रेडिशन बनाये और उनमे उलझे रह गए .
जो एम् बी ए नया सोचते है ,वो नया काम चुन रहे है तो बेसिक ही चुन रहे है ,जैसे फ़ूड चैन।
मैं जब मेकनिकल इंजिनियर से फाईनांस स्टोक मार्केट का मास्टर बना या अपना स्कुल खोला तो सफलता से पहले अनलर्न करना पड़ा काफी कुछ .
क्या 10 महीने में दूसरों की चुनी 8 किताबे पढ़ लेना काफी होगा अपने बच्चे को .
पेड़ ,रिवर,जिओग्राफी ,कंप्यूटर तक किताबों से पढाये या उनको ले जाकर दिखा ही दें .
4 टीचर या 4 दोस्तों में जब बच्चा सिमित होता है तो उसका विकास भी सिमित ही होता है।
कंप्यूटर या आइ टी की बात करें भी , तो कितना सही सिलेबस दे पा रहे है हमारे स्कूल /कालेज .
ऐसे कई सवाल है जो बड़े है ?
लेकिन जवाब क्या है ,मैं भी खोजने में लगा ही हूँ पूरी ईमानदारी से .
आप सबकी भी मदद चाहिए ?
कॉल करे 09754381469,07828163601
MAIL ID -MONEYGURU 9@GMAIL .COM
पंकज जैन ,मनी गुरू
पहली बात -स्कूल में 3 अन्य विषय है - चारित्र शिक्षा ,नैतिक शिक्षा ,शारीरिक शिक्षा .
मेरी नजर में इनको टालकर शिक्षा में बचा ही क्या ?
ज्ञान वही है जो इंसान में कुछ करते रहने की उमंग पैदा करे .
मै आइ आइ टी और आइ आइ एम कैम्पस में ,हॉस्टल में कई स्टुडेंट्स के साथ रहा .
उन सबकी इन्फार्माशन अपडेटेड है ,टेक सावी है,लेकिन भीतर उमंग कुछ ही लोगों में है .
80% लोग पैकेज के इन्तेजार में है .
अगर रिसेशन आ गया तो सब डिप्रेशन में आ जाते है .50% लोग नशे में रेगुलर है .
कभी कारण है उलझन ,अधिकतर कारण है खालीपन .
उनकी एनर्जी खूब है ,पर इमोशनल बिखराव है .
उमंग या भरोसे की कमी है ,यंगस्टर्स किसी से बात करने से पहले सोचता है कि जरुरी है क्या बात करना ?
कई लोग पुराने ट्रेडिशन के खिलाफ है ,लेकिन यंगस्टर्स ने नए ट्रेडिशन बनाये और उनमे उलझे रह गए .
जो एम् बी ए नया सोचते है ,वो नया काम चुन रहे है तो बेसिक ही चुन रहे है ,जैसे फ़ूड चैन।
मैं जब मेकनिकल इंजिनियर से फाईनांस स्टोक मार्केट का मास्टर बना या अपना स्कुल खोला तो सफलता से पहले अनलर्न करना पड़ा काफी कुछ .
क्या 10 महीने में दूसरों की चुनी 8 किताबे पढ़ लेना काफी होगा अपने बच्चे को .
पेड़ ,रिवर,जिओग्राफी ,कंप्यूटर तक किताबों से पढाये या उनको ले जाकर दिखा ही दें .
4 टीचर या 4 दोस्तों में जब बच्चा सिमित होता है तो उसका विकास भी सिमित ही होता है।
कंप्यूटर या आइ टी की बात करें भी , तो कितना सही सिलेबस दे पा रहे है हमारे स्कूल /कालेज .
ऐसे कई सवाल है जो बड़े है ?
लेकिन जवाब क्या है ,मैं भी खोजने में लगा ही हूँ पूरी ईमानदारी से .
आप सबकी भी मदद चाहिए ?
कॉल करे 09754381469,07828163601
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पंकज जैन ,मनी गुरू
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Please express honest