याद आते हो सनम तुम रह-रहकर
आशु देते हैं गवाही बह बह कर
तंग आ चुके हैं तुमसे कह कर कर
थक गए हैं अब जुदाई सह सह कर
हाय जुदाई कैसी आई ,भूल गए सब शिकवा हम
बाद तेरे जाने के जाना, रह न सकेंगे तन्हा हम
के हमने महसूस किया है आज अधूरापन खुद में
कि मेरा एक हिस्सा तुम हो, कि तेरा एक हिस्सा हम
आज बिन तेरे यह तय हे, जिंदगी नहीं गुजरेगी
कौन बनाएगा फिर हम को किस से करेंगे झगड़ा हम
आज समझ पाए हैं हमको तन्हाई ने समझाया
तेरी मानेंगे कर लेंगे अपनी जीत से तोबा हम
जी रहे हैं जैसे तैसे प्यार की हसरत लिए
शोहरत शानो-शौकत जैसी चीजों पे जिंदा हम
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