वो लड़की (ये चंद अल्फाज़ आपकी मोहब्बत मे नई जान डाल देने वाले है A perfect relationship
वह मुझे मिली ,
मुझे उसका चेहरा अच्छा लगा ! लेकिन मैंने तो कई एक से एक चेहरे देखे हैं फिर उसी में इतनी कशिश क्यों है ? क्योंकि उसमें गुरुर नहीं है सादगी है.
उसने मुझसे बात की तो पता चला कि उसकी जिंदगी में प्यार आ चुका है.
फिर उसने बताया कि आगे कदम बढ़ाने से मेरे उन अपनों को बहुत तकलीफ होती जो मुझे बहुत चाहते हैं मुझ पर भरोसा करते हैं इसीलिए मैं वहीं रुक गई
उसने कहा कि उससे तकलीफ तो बहुत हुई मगर सह ली.
यह सब सुनकर मुझे एक बारी का हल्का सा धक्का लगा. फिर भी मुझे दो बातें छू गई.
पहली यह कि वह लड़की प्यार को समझती है और दूसरी यह कि औरों को तकलीफ से बचाने के लिए खुद तकलीफ उठा सकती है.
अपने बारे में सब सच बता कर उसने मुझे अनजाने में मजबूर कर दिया कि मैं अपनी सारी जिंदगी उसके आगे खोल कर रख दो रख दू .
इस तरह हमारे बीच भरोसा पनपा.
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं किसी लड़की के साथ सारी जिंदगी गुजारने की ख्वाहिश करूंगा. क्योंकि मुझे अपने आसपास अब तक ऐसी कोई लड़की नजर ही नहीं आई थी. जो मेरी कमजोरी ना बन कर मेरी ताकत बन सके.
जब मैं तकलीफों से भरे किसी नेक रास्ते पर चलू तो मुझे रोकने की बजाय मेरे साथ चलने लगे.
जब उसने मुझसे कहा कि मेरी जगह आपके कदमों में है आपकी मर्जी ही मेरी मर्जी है, तब वह अपने आप मेरे सर आंखों पर आ गई.
जब कोई किसी से कुछ मांगता है तो देना ना देना सामने वाले के हाथ में होता है. लेकिन जब कोई अपने आप को किसी पर लुटा देता है तो सामने वाला अपने पास कुछ भी बचा कर नहीं रख पाता.
उसके मेरे बीच तकरार हुई लेकिन अहम उसकी वजह कभी नहीं बना.
जब हम दोनों मिलते हैं तो ईगो नाम की चीज जाने कहां गुम हो जाती है.
सबसे बड़ी बात यह है कि वह सहना जानती है. उसने मुझे सहना ही नहीं , सह कर हंसना सिखाया है.
मुस्कुराने की गुंजाइश नहीं होती वहां मैंने उसे खिलखिलाते हुए देखा है.
मैंने देखा की वह उन लोगों का भी पूरा ख्याल रखती है जिनके बारे में कोई भी आसानी से यह कर सकता है कि वही उसकी जिंदगी में जहर घोलने वाले लोग हैं.
मुझे अच्छी लगी क्योंकि वह अच्छा सोचती थी फिर एक दिन उसके सामने जिम्मेदारी आई.
अब यह देखने का मौका था कि वह करती क्या है ?
मुझे लगा कि यह लापरवाह सी दिखने वाली लड़की क्या इतना सब कुछ संभाल पाएगी ? लेकिन उसने सब कुछ संभाल लिया
कितने लोग थे आस पास। उनसे ना कोई शिकायत रखी ना ही उम्मीद।
उसने सारा काम सिर्फ अपना काम समझकर हंसते-हंसते निपटा दिया.
हो सकता है कि उसके काम में कहीं कुछ कमी रह गई हो उसके काम करने के जज्बे में कहीं कोई कमी नहीं थी . क्योंकि जी तोड़ थकान व परेशानियों के बावजूद मैंने उसके माथे पर शिकन नहीं देखी .
मैंने उसमें मां की झलक देखी .
उस दिन तक मेरी पसंद थी उस दिन के बाद वह मेरा गुरूर बन गई.
ऐसा नहीं है कि हम दोनों का नेचर बिल्कुल मिलता-जुलता है. लेकिन ऐसा लगता है कि मुझ में जो कमी है उसे वह पूरा कर देती है और उसमें जो कमी है उसे शायद मैं पूरी कर सकता हूं.
उससे मिलकर मुझे अपने अधूरेपन का एहसास हुआ।
इस अधूरेपन को वही दूर कर सकती है.
मैं अधूरा हूं तो अपने आसपास कोशिश करके जो खुशियां बांट लूंगा वह ना चाहकर भी अधूरी ही होगी. और मैं तो सारी दुनिया में भरपूर खुशियां बांटना चाहता हूं.
मैंने आज तक ऊपर वाले से कुछ नहीं मांगा, कभी लगा ही नहीं कि कोई चीज इतनी जरूरी है कि होना ही चाहिए.
उसने मेरे खोए विश्वास को फिर से जगाया है और इसी विश्वास के कारण में नामुमकिन से मुमकिन हो जाने की दुआ भी करने लगा हूं और उम्मीद भी रखने लगा हूं
अपनी जिंदगी में किसी एक को इतना ऊंचा दर्जा दे देना ठीक है क्या?
फिर मैंने क्यों दिया हे.?
ना. मैंने दिया नहीं है, वह अपने आप उस ऊंचे दर्जे पर पहुंच गई है क्योंकि अपनी बुराइयों से छुटकारा पाने के लिए मैं कई फंडो का सहारा ले रहा था. फिर भी बहुत मुश्किल हो रही थी।
मुझे अपने दिल दिमाग आज बहुत जबरदस्ती करना पड़ती थी।
उन्हीं बुराइयों को उसके गहरे प्यार ने एक हल्के से इशारे में दूर कर दिया।
जो मुझे खुद के इतने करीब ले आई उसका दर्जा और क्या हो सकता था?
Panakj Jain
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