घर
मेरे ख्यालों में एक घर है
जहाँ नहीं दिवार ओ दर है
बेताबी से जिसमे मेरी
राह देखती इक नज़र है ।
जिसमे आँचल की छाया है
मेरे संग संग इक साया है ,
जिसमे तनहा शाम नहीं है'
जिसमे हंसती हुई सेहर है।
जब भी टूट के मैं जाऊं
जग से रूठ के मैं जाऊं
और जब रोऊँ तो पाऊं
किसी गोद में मेरा सर है ।
कुछ कडवाहट जहाँ नहीं
कोई बनावट जहाँ नहीं
प्यार ही प्यार भरा है जिसमे
नफरत जिस घर से बाहर है ।
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"DIL TO DIL HAI"
बुक BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED
CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE" OR LYRICS
09754381469
09406826679
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