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ए नन्हे से फरिश्ते

ए  नन्हे से फरिश्ते

        
उस वक्त हाईस्कुल  के बोर्ड एक्जाम्स  चल रहे थे । घुटने पर चलने वाला आठ-दस महीने का सनी हमारे साथ ही था । तब मेरी उम्र क्या रही होगी ? यही कोई तेरह-चौदह बरस । ऐसी उम्र के बच्चों के मन में बहुत से काम्प्लेक्स पैदा हो जाते है।
 मेरे मन में भी था -जलन (ईर्ष्या )। अपने उस दोस्त से जो हमारे घर बहुत आता-जाता था । बेहद गरीब लेकिन गजब का गुणी। तो उसकी तारीफे भी होती थी। बस  इसी बात ने मेरा जिना  हराम कर रखा था। जब घर में सब उसके साथ हँस रहे होते तो मेरे दिल पर साप लोटते थे। फिर कोई मेरी जरा सी हँसी उड़ा देता और में बिस्तर पर जाकर ऑखो से गंगा-जमना बहा देता ।आज वो बात याद आने पर हँसी भी आती हैऔर शर्म भि। जलन अकेली ही जिन्दगी में जहर घोलने के लिए काफी है औरतो में तो बड़ी  ऊम्र में भी देखने को मिल जाती है। उनको देखकर पहले हँसी आती है,बाद में तरस भी आता है। 
    खेर। तो जलन के कारण अपने उस दोस्त से मेरी एक होड़ सी थी की सनी किसके साथ ज्यादा घुलमिल जाता है?मैने दिन-रात एक कर दिये और सनी को मेरी आदत सी हो गयी । रात को दो-दो घंटो के अंतर से उठकर वो रोने लगता । में दौड़ -दौडकर दुध की बाँटल भरकर लाता,उसे पिलाता । फिर वो आदत के मुताबित अपने एक हाथ से मेरा कान पकडकर धीरे-धीरे सो जाता । इस सब के दोरान मुझमे बड़ा फर्क आने लगा था । मुझे लगा की मेरी उम्र एकदम बढ़ गयी है और जलन की नासमझी खत्म होती जा रही है। माँ होने का क्या मतलब होता है ।इसकी  जरा सी झलक मुझे मिल गयी थी और इस जरा सी झलक ने मेरे अंदर सब कुछ बदल दिया था । इस चक्कर में मै पढाई कम कर पा रहा था और सबको यही लगा की इस बार मेरा रिजल्ट क्या होगा ? लेकिन रिजल्ट अच्छा ही रहा और मैंने हमेशा की तरह मेरिट लिस्ट में जगह पायी । अब कारण पर गौर करे तो कारण शायद यही है की जब हम किसी से प्यार करते है तो हमारा दिल  और दिमाग दोनों मिलकर काम करने लगते है । फिर तो हर काम के परिणाम अच्छे ही आऍगे ना ?
  इस घटना का मेरे जीवन में महत्व है । गर एसा न होता तो क्या इतने सालो बाद ये बाते मुझे याद आति। एक रात में पलंग के पास ही स्टूल पर अलार्म घड़ी रखकर सोया । सनी ने पता नही ,कब उठकर केसे घड़ी गिरा दी । आवाज हुई तो अचानक मेरी नींद खुली पापा भी आ गये ,''बेवकूफ घड़ी इसकी पहुच में रखी क्यों" ?
घड़ी का कॉच टूट चूका था और मुझे गुस्सा आ रहा था । मेंने उसे मारने के लिए हाथ उठा ही लिया था की उसके चेहरे पर नजर गई। वो बड़ी बेफिक्री से अपने इक्के -दुक्के दाँत दिखा रहा था।हाथ रुका नही बल्कि एक के बदले दोनों हाथ आगे बढ़े, पर उन हाथो में मारने के बजाय उसको उठा लिया । अगले ही पल मै हमेशा की तरह उससे ठिठोली कर रहा था । भूल चूका था की दो मिनट पहले क्या हुआ है ?
 प्रक्रति ने औरत को बड़ी भयंकर प्रसव पीड़ा दी है,पर इसके बाद ही एक और चीज उसे मिली है-ममता का सुख । जिसके मुकाबले न तो कोई पीड़ा है,न और कोई सुख । ममता से मन ऐसे जुड़ते है की जुड़े ही रह जाते है…… हमेशा के  लिए। 
आठ बरस बाद ,वो आठ-नौ महीनों का बच्चा आठ -नौ साल का हो चूका है। मै २१-२२ का हो गया हूँ । हम दोनों क्रिकेट खेल रहे है। ये मैने बाँल की और वो आऊट। "नही,नही ,मै तैयार नही था । बाँल बहुत फ़ास्ट थि। "वो दो बार आऊट हो चूका है, लेकिन बेट नही छोड़ता है। तीसरी बार भी आऊट होने पर नाटक ।"नही खेलना मेरे को।"मैने कहा,तो उसने बेट फेंक दिया । अब मेरी बेटिंग है। ये उसकी बाँल  आयी और ये लगा चोंका । "ये तो ट्रायल बाँल थि। सब स्टम्प तो घेर कर रखे है।"यूँ ही रोते-गाते उसने अगली  बाँल  फेंकी और अबके छक्का । जम के धुनाई शुरू हुई और में जित गया । वो पैर पटक रहा है,मै नाच रहा हूँ । 
मै कहता हूँ,"ओए ....होय ....होय ....." वो गर्दन झटक कर "हट ....."कहता है और मेरे पीछे दोड़ता है। दिनभर  हम लड़ते ।वो बच्चा है तो मै कोनसा बच्चो का बाप हूँ । टीवी पर उसको चाहिए WWF ,मुझे चाहिए सीरियल । उसे चाहिए क्रिकेट मैच तो मुझे चाहिए फिल्म । रिमोट की छीना-झपटी होती । मै चेनल बदलना चाहता तो वो टीवी के आगे कोई किताब अड़ा देता । रिमोट काम नही करता । 
ये सब चलता रहता । फिर उसे नींद आने लगती ।वो धीरे से आता और मेरे पास बैठ जाता । उसका हाथ अपने आप मेरे कान पर चला जाता । मै कहता "चलो ,अपनी जगह पर सोओं । "वो  कहता "पहले कहानी सुनाओ ।"
कहानी सुनते-सुनते वो सो जाता है और उसका नन्हा सा हाथ मेरे सिने पर होता है तो मुझे भी नींद अच्छी आती है । सारी कडवाहटे सारी उथल पुथल उस जरा से वजन के कारण सर नही उठा पाती । 
 
 FROM 
"DIL TO DIL HAI" 
BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED
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