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Showing posts from December, 2013

उलझनें गहरी सी (An everlasting search

उलझनें गहरी सी  एक अजीब उलझन भरा दौर फिर सामने है मेरे हमेशा की तरह ? ज़रा सा प्रोफेशनल  फ्लो में ठहराव आता है कि ये सवाल घेरने लगते है. जिस तरीके से जी रहे है ,क्या यही सही तरीका है  जीने का। या फिर जीने का कहाँ कोई तरीका हो सकता है ? जब बैंक अकाउंट भर रहा था तो लाइफ सही चल रही थी , या चल ही नहीं रही थी। हर सवाल के जवाब में हम दिन भर की कमाई सामने रख के कट लेते थे। पैसा से थोडा छूटे तो दिल करता है कि प्यार के पीछे छुप जाओ और मुंह छुपा लो। बीबी को देखता हूँ तो बिना सोचे जी रही है ,हँसते -खेलते। बिल्डिंग में सामने जब सारी फैमिलीज़ मिल गयी तो दिन रात जलसा है। कल क्या हुआ ,कल क्या होगा ,सब भूल गए है। ये हमेशा भूले रहे तो क्या प्रॉब्लम है ? लेकिन जैसे ही होश में आते है सब हिसाब लगाते है कि हम कितने आगे या पीछे है। उसको जब टोकता हूँ टी,बच्चों की स्टडी ,प्रोफेशन में हेल्प या खानदानी रिलेशन को टाइम देने को तो अन्दर से आवाज़ आती है कि वो वैसे  ही तो जी रही है ,जैसे मेरी किताबें कहती है। लाइफ सेट है ,फिर भी एक अजीब सा खिंचाव या अनजाना सा डर है ,जो कि साथ साथ चलता है। ह

बढ़ी कोशिश से चला हूँ। 

बढ़ी कोशिश से चला हूँ ।     बड़ी कोशिश से चला  हूँ मगर  यही डर  है  फिर लिए आएगी मुझे कोई लहर तेरी तरफ मैं न देखू तुझे  ये कितनी देर मुमकिन है  कि जरा देर और ये मेरी नजर तेरी तरफ   मैं अपने आप को आठो पहर धकेलता हूँ  इक  कशिश खिचती है शामो सहर  तेरी तरफ  यार हर बार कही से किसी बहाने  से  मुड़ ही जाती है हरेक रहगुजर तेरी तरफ  अक्ल कहती है किसी मंज़िल , किसी हासिल को  चल  दिल ये  कहता है जब भी पछु किधर ,तेरी तरफ  यही उलझन है कि मैं  ना चलु तो  जी न सकू    दुनिया नाराज़ है चलता हूँ अगर तेरी तरफ  BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE"  OR LYRICS 09754381469 09406826679