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Showing posts from June, 2013

?तिया -हर कोई बनता है? it's ok to be not ok sometimes

?तिया -हर कोई बनता है  ?तिया -हर कोई बनता है?  it's ok to be not ok sometimes हर इंसान को भीतर ही भीतर कई बार लगता रहता है की मैं बहुत खास हूँ । महान  लोगों की बायोग्राफी पढ़कर आधी उम्र तक उम्मीद करता है की मुझे किसी खास लक्ष्य के लिए जीवन तैयार कर रहा है ।बेचारा सारी ठुकाई इसी मरहम के साथ झेलता है । और एक दिन जीवन ऐसे खत्म होता है जैसे किसी  हॉट सीन का इंतज़ार करते -करते कोई बेकार सी सेक्सी फिल्म ख़त्म हो जाती है ।  लोग मनचाही शादी कर लेते है,पैसा कम लेते है,थोडा नाम भी हो जाए फिर भी सवाल उलझे रहते है ? शायद सवाल हर किसी के साथ हमेशा ही रहते है ,पर ये बात समझ में आते आते देर लेग जाती है । पुरी लाइफ आउट ऑफ़ प्लान होती है । हम सोचते क्या है .करते क्या है और होता क्या है ?यही बात मजेदार भी है अगर मज़े लेना सीख  लो तो । पहली रात के दर्द के बिना दूसरी रात का मज़ा कभी आ सकता है क्या? जब कोई कामयाब होता है तो तरीका बहुत अजीब होता है । लोग कई कोशिशे करते रहते है।बहुत सीरियस होकर जो कोशिश की .पाया कि खोखली रह गयी ।ये महसूस भी बहुत बाद में होता है । मजाक मजाक में जो कर डाला ,वह

AASMANO ME

AASMANO ME आसपास  न देखी तो ढूंढी फसानो में   थी नही जमी पर गए आसमानों में ।  जगह-जगह जा के ख़ुशी ढूंढते रहे  मैकदों  में,महफ़िलो में और मकानों में ।  कोई हो जो स्वाद भी इसका चखे जरा  प्यार को सबने सजाया मर्तबानों में ।  दाम चस्पा हो गए हर शै पे दुनिया की  घर के बदलते जा रहे है क्यू दुकानों में ।  जज्बात गायब देख के हमको यही लगा  इंसां क्या बनने लगे है कारखानों में ।  क्या करे उकता गये है अक्लमंदो से  इसलिए हम हो गए शामिल दिवानो में ।  FROM  "DIL TO DIL HAI"  BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE"  OR LYRICS 09754381469 09406826679  

रिश्ते सारे टूट रहे है

रिश्ते सारे टूट रहे है  रिश्ते सारे टूट रहे है और एहसास भी रूठ रहे है आसपास की किसे खबर है बस अपने आंगन पे नज़र है भूल के खून के रिश्तों को तक सब खुद ही में जुट रहे है ॥ दौलत की है मारा मारी इंसानियत रोये बेचारी , अपनों को ही लुटे दुनिया सारे भरोसे उठ रहे है ॥ सारा बनावट का है ज़माना रिश्ते भी पड़ते है दिखाना, औरों की क्या बात करें हम अपने ही दिल से झूठ कहे है ॥ दिल का दिल से रिश्ता नहीं है जिसकी ज़रूरत, अपना वही है , बूढ़ा बाप है चेहरा तकता माँ के आंसू फूट रहे है ॥ रिश्ते सारे  टूट रहे है ......... FROM  "DIL TO DIL HAI"  BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE"  OR LYRICS 09754381469 09406826679  

KISSA E SAFAR

किस्सा ए सफ़र  ना पूछ क्या तय किया ज़िन्दगी का सफर हर मोड़ पे ही मंजिले बदलती गई दूर तक राह आती नहीं थी नज़र हर कदम उलझने साथ चलती गयी बेहया ये तमन्नाएँ हैं इस कदर बारी बारी से सारी मचलती गयी थक गए पीछा करते हुए हर डगर ज़िन्दगी आगे आगे निकलती गयी सबका हमसा तो है किस्सा ए सफ़र सोच सोच करके तबियत बहलती गयी साथ आया नहीं एक अदद हमसफ़र हर मक़ाम पे ये कमी भी खलती गयी ॥   FROM  "DIL TO DIL HAI"  BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE"  OR LYRICS 09754381469 09406826679  

SCIENCE IN LOVE

   साइंस ऑफ़ लव                  स्वामी विवेकानन्द  प्रेम के लिए क्या कहते है ? वह कौनसी वस्तु है,जो अणुओ  को लाकर  अणुओ से मिलाती है । परमाणुओ को   परमाणुओ से मिलाती है। बड़े-बड़े ग्रहों को आपस में एक- दुसरे की ओर आकर्षित  करती है।  पुरुष को  स्त्री की ओर , स्त्री को पुरुष की ओर , मनुष्य को मनुष्य की ओर  , पशुओ को पशुओ की ओर  ,मानो समस्त संसार को एक केन्द्र की ओर  खिचती हो। यह वही वस्तु है,जिसे प्रेम कहते है । प्रेम से बढकर सुख या आनन्द की कल्पना नही की जा सकती ।  अन्थोनी वाल्स ने अपनी कृति "साइंस ऑफ़ लव "में प्यार के दौरान शरीर के हार्मोंस में परिवर्तन का उल्लेख किया है।   प्रेमभाव का  सं चालन मस्तिष्क के हायपोथैलमस   भाग से होता है,जो की सारी लव फिलिग्स का केन्द्र है। जब कोई प्यार करता है तो उसका मन उल्लास एवं उत्साह से भर उठता है। प्यार की कशिश बढने पर फिनाईल एथिलामाईन का उत्सर्जन बढ़ता है।इससे दिमाग जागरूक  और शरीर एक्टिव हो जाता है। आदमी दीवाना सा हो जाता है। जिसे वैज्ञानिक रसायनों का चमत्कार कहते है।  पीयूष  ग्रथि भी इसमें प्रभाव डालती है । यह ए

DIL TO DIL HAI

दिल तो दिल है  अपनी हालत पर हंसी भी आती है रोना भी दर्द ए दिल कातिल भी है, सलोना भी मैं सिमट पाऊं जिसमे और उनसे बच  जाऊं ना रहा मेरे दिल में ऐसा एक कोना भी रात लम्बी हुई है एक जिंदगी की तरह उसपे मुश्किल हुआ है दो घडी का सोना भी उनसे मिलकर मेरी अक्ल को हुआ क्या है  हंस के मंज़ूर है खुद का तबाह होना भी कोई शिकवा नहीं अगर वो हमसे खेल लिए कुछ तो समझा हमें,समझा चलो खिलौना भी   FROM  "DIL TO DIL HAI"  BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE"  OR LYRICS 09754381469 09406826679  

ए नन्हे से फरिश्ते

ए  नन्हे से फरिश्ते           उस वक्त हाईस्कुल  के बोर्ड एक्जाम्स  चल रहे थे । घुटने पर चलने वाला आठ-दस महीने का सनी हमारे साथ ही था । तब मेरी उम्र क्या रही होगी ? यही कोई तेरह-चौदह बरस । ऐसी उम्र के बच्चों के मन में  बहुत से काम्प्लेक्स पैदा हो जाते है।  मेरे मन में भी था -जलन (ईर्ष्या )। अपने उस दोस्त से जो हमारे घर बहुत आता-जाता था । बेहद गरीब लेकिन गजब का गुणी। तो उसकी तारीफे भी होती थी। बस  इसी बात ने मेरा जिना  हराम कर रखा था। जब घर में सब उसके साथ हँस रहे होते तो मेरे दिल पर साप लोटते थे। फिर कोई मेरी जरा सी हँसी उड़ा देता और में बिस्तर पर जाकर ऑखो से गंगा-जमना बहा देता ।आज वो बात याद आने पर हँसी भी आती हैऔर शर्म भि। जलन अकेली ही जिन्दगी में जहर घोलने के लिए काफी है औरतो में तो बड़ी  ऊम्र में भी देखने को मिल जाती है। उनको देखकर पहले हँसी आती है,बाद में तरस भी आता है।      खेर। तो जलन के कारण अपने उस दोस्त से मेरी एक होड़ सी थी की सनी किसके साथ ज्यादा घुलमिल जाता है?मैने दिन-रात एक कर दिये और सनी को मेरी आदत सी हो गयी । रात को दो-दो घंटो के अंतर से उठकर व