एक डोर है , माँ बांधे हुए सारे घर को एक डोर है , माँ हर लम्हा सुकून भरी एक भोर है माँ । देख ढूँढते हुए हमकद हुआ तेरे , तेरे प्यार का कोई ओर न छोर है , माँ । मेरी सारी गलतियो पे रूठी ज़रा ज़रा बिगड़ गई मुझपर कहा भी भला बुरा । कुछ देर को थी पत्थर और फिर पिघल गई गुस्सा करने में बेहद कमजोर है माँ । । बाकि सारे रिश्तो के तो रंग बदल गए बेटे - बेटी हालातो के संग बदल गए । क्यु किसी मौसम का कुछ तुझपे असर नही लहू तेरी रगों में ही कुछ और है माँ । । तेरे ही दिल का टुकड़ा दिल तोड़ रहा है दूध के भोले कर्ज से मुह मोड़ रहा है । ऐसे कितने दौर यूँ आए चले गए , गुजरेगा ये भी छोटा सा दौर है माँ । । आजकल गहरी नींदों की रैन नहीं है हर जगह ही शोर है ,कुछ चैन नहीं है गोद में तेरे सर रखा कि आँख लग गई तेरे आँचल से बाहर हर शोर...
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