हर घर में छोटे और बड़ों के नजरिए में फर्क है क्योंकि उम्र में 20 -30 सालों का फर्क है! 20 सालों में तो हमारे खुद के विचार एक जैसे नहीं रहते, तो अलग-अलग व्यक्ति अलग तो सोचेंगे ना! बचपन में खाने और खिलौनों से तसल्ली थी पर क्या जवानी में मिलेगी? बड़ों के आगे बेझिझक, मगर पूरी तमीज और प्यार से अपनी बात रखिए! उन्हें समझाने की कोशिश कीजिए. ना माने तो आखिरी निर्णय उनका है, क्योंकि उन्हें अनुभव है! यही सोचकर मामला वक्त पर छोड़ दीजिए! क्या ऐसा करने से जिंदगी बेहतर बनती है! एक बहू अपनी चचेरी बहन की शादी में जाना चाहती थी, मगर उसकी बच्ची छोटी थी! महीनों से बहन की शादी में जाने के अरमान सजा रखे थे! लेकिन शादी में पहुंचने के लिए 10 -12 घंटों का सफर जरूरी था! इतनी छोटी बच्ची को ठंड के मौसम में ले जाने की सासूजी इजाजत कैसे देती? आखिर सासू जी ने कह दिया कि “कोई कहीं नहीं जाएगा!” बहू ने सुना! चुपचाप आंखों में दो आंसू टपके! यह आंसू पतिदेव ने भी देखें, मगर बहू ने कहा कि “पापा जी मम्मी जी से मत कहो कि मैं रो रही हूं!” उसने आंसू पहुंचे और फिर से हंसते बोलते सास-ससुर को खाना खिलाने लगी! शाम होते-होते स