शोर शोर शहरों का खला तो मैं अपने घर को चला खौफ ए तन्हाई खड़ा लेकिन मेरे दर पे मिला खुद को खुद के घने सायों से बचाऊँ कैसे सुकून कैसे मिले मुझको घर जाऊं कैसे मेरे बिखरे हुए टुकड़ों को सजाकर रख दे कोई ले जाके मुझे फिर से अपने घर रख दे के मैं गलियों में ,बाज़ारों में बहुत भटका हूँ हर किनारे से किसी हादसे में अटका हूँ दर्द से मुझको मेरे मौला बचा ले कोई आके सहलाये जलते वक़्त के छले कोई पूरी करना ऐ खुदा इतनी तमन्ना मेरी पाए आँचल की हवा फिर से ये दुनिया मेरी पंकज जैन "सुकून" "दिल तो दिल है "पुस्तक से साभार @सर्वाधिकार सुरक्षित बुक ,डी वी डी या गीत खरीदने हेतु कॉल करें 9754381469 9406826679
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