Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2013

STOCK MARKET FUNDAMENTAL-TECHNICAL ANALYSIS= (EASY FOR ALL)

ULTIMATE TRUTH OF LIFE-ज़िन्दगी झांट

                         ज़िन्दगी झांट किसी जगह धीरे धीरे कुछ झांट के बाल उगने लगे । शुरू शुरू में तो कुछ ही थे , तो सब चुपचाप बढ़ रहे थे और अपने आस पास और ज्यादा के उगने का इंतज़ार कर रहे थे ।पहले तो अपनी गिनती बढते देख खूब खुश हुए । जहाँ देखो ,वहां बाल ही बाल। उससे आगे दिखता नहीं था । लगा कि यही दुनिया है और इसका खुदा तो मैं  भी बन सकता हूँ । किसी दिन गलती से शैम्पू की कुछ बुँदे कुछ बालों  पर टपक गयी ।वो जरा मुलायम मुलायम से हो गए । "कुछ तो खास है यार मुझमे । "ऐसा कईयों को लगने  लगा ।  वैसे बूंद तो कहीं भी ,किसी पे भी टपक सकती थी । जब वो खूब बढ़ गए ,तो एक दुसरे में उलझने लगे । एक बड़ा लम्बा बाल बोला" अबे, दूर हट साले ,अपनी औकांत देख ,नाख़ून भर का है नहीं, ऊँगली भर बाल से भिड़ने चला है " आजकल अपने को छोटा कौन समझता है ?छोटू ने दो चार नंगी गालियाँ चिपका दी । लम्बू के दिल पे लग गई।क्यूंकि बढ़ते बढ़ते ऊपर जाने की बजाय वो घूम फिर के फिर चमड़ी तक आने लगा था । उसको डर लगा। डरने पे कोई भी सोचने लगता है । जब लगे फटने ,प्रसाद लगे बंटने ।

GHAR- SWEET HOME

घर  मेरे ख्यालों में एक घर है  जहाँ नहीं दिवार ओ दर है  बेताबी से जिसमे मेरी  राह देखती इक नज़र है ।  जिसमे आँचल की छाया है  मेरे संग संग इक साया है , जिसमे तनहा शाम नहीं है' जिसमे हंसती हुई सेहर है।  जब भी टूट के मैं जाऊं  जग से रूठ के मैं जाऊं  और जब रोऊँ तो पाऊं  किसी गोद में मेरा सर है ।  कुछ कडवाहट जहाँ नहीं  कोई बनावट जहाँ नहीं   प्यार ही प्यार भरा है जिसमे नफरत जिस घर से बाहर है ।   FROM  "DIL TO DIL HAI"  बुक BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED CALL TO ORDER BOOK,DVD"LOVE"  OR LYRICS 09754381469 09406826679